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(बीआईएसपीएस) परियोजनाः एक परिचय
राज्य के वृद्धजनों, विधवाओं एवं दिव्यांगजनों की बदहाली कम करने एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा के जोड़ने के उद्देश्य से समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार द्वारा अनेक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। राज्य सरकार इन समूहों के पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, क्षमतावर्धन, सामाजिक सुरक्षा आदि के लिए प्रतिबद्ध है तथा इनके समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के साथ ही उनके लिए बेहतर सामाजिक वातावरण के निर्माण की दिशा में प्रयासरत् है। विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएं विभाग की ऐसी ही एक पहल है, जिसका लक्ष्य इन समूहों की आर्थिक पर-निर्भरता में आंशिक कमी लाना है। अनुभवों के आधार पर ऐसा महसूस किया गया कि मौजूदा प्रयासों के अतिरिक्त इन समूहों के कल्याणार्थ अन्य विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। इन समूहों के निराश्रित व्यक्तियों की सांस्थानिक एवं गैर-सांस्थानिक देखभाल सेवाओं के विस्तार की आवश्यकता भी महसूस की गई। बुनियाद केन्द्रों में उपलब्ध सुविधाएं/सेवाएं दृष्टि एवं श्रवण संबंधी समस्याओं के लिए जांच और आवश्यक सहयोग फिजियोथेरेपी विकलांगता आकलन एवं निर्धारण संबंधी सहयोग कौशल विकास एवं प्रशिक्षण सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के लाभ तक पहुंचने में सहयोग एवं मार्गदर्शन कानूनी सलाह, परामर्श, इमरजेन्सी आउटरीच रेफरल सेवाएं जीवन कौशल शिक्षा ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ नामक मोबाइल आउटरीच थेरेपी वैन के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों के लाभार्थियों तक पहुंच इसी पृष्ठभूमि के आधार पर बिहार सरकार एवं विश्व बैंक के संयुक्त प्रयास के रुप में ‘बिहार समेकित सामाजिक सुरक्षा सुदृढ़ीकरण परियोजना’ (बी.आई.एस.पी.एस) की शुरुआत की गई है। इस योजना का संचालन समाज कल्याण विभाग की सोसाइटी, ‘स्टेट सोसाइटी फॉर अल्ट्रा पूअर एण्ड सोशल वेलफेयर’-एसएसयूपीएसडब्लू (सक्षम) तथा ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत ‘बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाईटी’ (बीआरडीएस) द्वारा किया जा रहा है। परियोजना का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने में विभाग की क्षमतावृद्धि करना तथा सामाजिक सुरक्षा सेवाओं के लाभार्थियों तक सामाजिक सुरक्षा सेवाओं की पहुंच बढ़ाना है। इन उद्देश्यों के दृष्टिगत परियोजना के दो महत्वपूर्ण घटक निर्धारित किए गए हैं- (1) सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों एवं सेवाओं के संवितरण के सुदृढ़ीकरण हेतु विभागीय क्षमतावर्धन एवं (2) सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी सेवाओं का धरातल स्तर पर विस्तार एवं सेवा प्रदाय तंत्र का सुदृढी़करण । परियोजना के प्रथम घटक के तहत संपूर्ण राज्य में सामाजिक सुरक्षा सेवाओं एवं सामाजिक सुरक्षा पेंशन डिलेवरी तंत्र को सहयोग प्रदान किया जाएगा। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक विशिष्ट सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। इस व्यवस्था से सामाजिक सुरक्षा पेंशन भुगतान प्रक्रिया में गति एवं पारदर्शिता के साथ कार्यकुशलता आएगी एवं सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थियों-दिव्यांगजनों, वृद्धजनों एवं विधवाओं तक सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ बेहतर ढंग से पहुंच सकेगा। इस घटक के तहत हेतु संचार नीति का निर्माण किया गया है। संचार नीति का उद्देश्य परियोजना के प्रचार-प्रसार के अतिरिक्त लक्षित समूहों को उनके सामाजिक सुरक्षा अधिकारों के प्रति जागरुक बनाना और सामाजिक सुरक्षा योजना के लाभों तक पहुंचाना भी है। साथ ही, परियोजना से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रुप से जुड़े पदाधिकारियों की क्षमता वृद्धि हेतु प्रशिक्षण रणनीति भी विकसित की गई है जिसे विभिन्न चरणों मे लागू किया जाएगा। क्षमता- वर्धन से नीति -निर्माण एवं संचालन स्तरों पर स्पष्टता, पारदशि्र्ाता एवं नियमितता सुनिश्चित होगी, दायित्वों के निर्वहन में स्पष्टता आएगी। परियोजना के दूसरे महत्वपूर्ण घटक के रूप में विभिन्न चरणों में कुल 101 बुनियाद केन्द्र स्थापित किए जाने की योजना है। इन 101 केन्द्रों में से 38 केन्द्र जिला स्तर पर एवं 63 अनुमंडल स्तर पर स्थित होंगे। यह केन्द्र दिव्यांगजनों, वृद्धजनों एवं विधवाओं को ऐसा सामाजिक धरातल प्रदान करेंगे जिनके माध्यम से उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत बन सके, समाज की मुख्यधारा में उनका समावेशन हो सके। इन केन्द्रों को ऐसे धरातल के रुप में विकसित करने की योजना है जिनके माध्यम से लक्षित समूहों के कल्याणार्थ अभिनव प्रयोग किए जाएंगे। बुनियाद केन्द्रों के भवनों के निर्माण का कार्य भवन निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा जिसके लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जिला मुख्यालयों में जमीन उपलब्ध कराई गई है। नए भवनों का निर्माण होने तक बुनियाद केन्द्रों का संचालन अप्रयुक्त सरकारी भवनों अथवा किराए के उपयुक्त भवनों से किया जाएगा। सरकारी अप्रयुक्त भवनों का जीर्णाद्धार बिहार स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसबीसीसीएल) द्वारा किया जा रहा है। प्रथम चरण में 27 जीर्णोद्धारित/किराए के भवनों में बुनियाद केन्द्र काम करना शुरु करेंगे। इसी प्रकार विभिन्न चरणों में कुल 38 बुनियाद केन्द्र सरकारी अप्रयुक्त भवनों (जीर्णाद्धार पश्चात्) में कार्य करेंगे। इसके साथ ही भवनों के निर्माण का कार्य भी चलता रहेगा। भवनों का निर्माण कार्य संपन्न होते ही बुनियाद केन्द्रों को नवीन भवनों से संचालित किया जाएगा जबकि जीर्णोद्धारित सरकारी भवन संबंधित विभागों को लौटा दिए जाएंगे। ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ (मोबाइल आउटरीच थेरेपी वैन) जिला एवं अनुमंडल स्तरों पर बुनियाद केन्द्रों का वितरण सुगमता के आधार पर एवं अधिक से अधिक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है, हालांकि ऐसा भी माना जा सकता है कि परियोजना के लक्षित समूहों में से ऐसे बहुत से लाभार्थी होंगे जो शारीरिक दिव्यांगता, दूरी अथवा वृद्धावस्था के कारण नजदीकी बुनियाद केन्द्रों तक पहुंचने में असमर्थ होंगे। इस तरह के लाभुकों को सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से मोबाइल आउटरीच एण्ड थेरेपी वैन (एमटीवी) का प्रयोग किया जाएगा। इस माध्यम से बुनियाद की सेवाएं सुदूर/दुर्गम अंचलों, अशक्त एवं मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े समुदायों तक भी हो सकेगी। इसके अतिरिक्त,कठिन परिस्थितयों में फंसे वृद्धजनों को आकस्मिक सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य से एमरजेंसी रेस्पॉन्स वैन (ईआरवी) का प्रयोग भी किया जाएगा। एमटीवी एवं ईआरवी के मुख्य उद्देश्य निम्नवत् हैं:- दूरस्थ क्षेत्रों में निवासित वृद्धजनों, विधवाओं एवं दिव्यांगजनों को समुदाय स्तर पर मोबाइल इकाईयों की सहायता से थेरेपी एवं काउंसलिंग सहयोग संबंधी सेवाएं प्रदान करना। राज्य में संचालित की जा रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सर्वव्यापीकरण हेतु समुदाय स्तर पर उन योजनाओं के विषय में जागरुकता निर्माण करना। समुदाय सदस्यों को वृद्धजनों, विधवाओं एवं दिव्यांगों के हक-अधिकारों के तथा उन तक पहुंचने की प्रक्रिया के विषय में शिक्षित करना। बुनियाद केन्द्रों की सेवाओं के अधिकतम प्रसार के लिए केन्द्रों एवं उनकी सेवाओं के विषय में जागरूकता निर्माण करना। रेस्पॉन्स वैन के माध्यम से जरुरतमंद वृद्धजनों को एमरजेंसी आउटरीच सेवाएं प्रदान करना। समुदाय विशेषकर परियोजना के लक्षित समूहों को विभिन्न संस्थाओं के साथ जोड़ना।
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